तुमको इज़्ज़त की पड़ी है,
मेरी दुनिया लुट रही है।
बेवफ़ाई की गली भी,
हां ख़ुदा द्वारा बनी है।
इश्क़ नेक़ी का मुसाफ़िर,
हुस्न धोखे की गली है।
हम चराग़ों के सिपाही,
आंधियों से दुश्मनी है।
चाह कर भी रुक न सकते,
ज़िन्दगी यारो नदी है।
क्यूं किनारों पर सड़ें जब,
लहरों की दीवानगी है।
तीरगी के इस सफ़र में, (तीरगी - अंधेरों)
जुगनुओं से दोस्ती है।
मेरी दरवेशी पे मत हंस,
अब यही मेरी ख़ुदी है। (ख़ुदी -स्वाभिमान)
चांद के जाते ही दानी,
चांदनी बिकने खड़ी है।
क्यूं किनारों पर सड़ें जब,
ReplyDeleteलहरों की दीवानगी है..
Beautiful and motivating lines.
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दानी की नन्ही ग़ज़ल भी
ReplyDeleteइक फ़साने से बड़ी है.
आग है , बारूद भी है
हाँ ! मगर ये फुलझड़ी है.
खुबसूरत ग़ज़ल के लिए मेरी बधाई.
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many many thanks to Divyaa ji and Arun bhai
ReplyDeleteचाह कर भी रुक न सकते,
ReplyDeleteज़िन्दगी यारो नदी है।
अच्छी सोच ....बहुत ही खूबसूरत अलफ़ाज़.
Many many thanks to Dr. Varshaa sinsh jI.
ReplyDeleteइश्क़ नेक़ी का मुसाफ़िर,
ReplyDeleteहुस्न धोखे की गली है।.......wah...bahut khoob!
many many thanks to karta of ghazal ganga.
ReplyDeleteहम चराग़ों के सिपाही,
ReplyDeleteआंधियों से दुश्मनी है।
बहुत जानदार शेर।
छोटी बहर में बहुत खूबसूरत ग़ज़ल ।
तीरगी के इस सफ़र में, )
ReplyDeleteजुगनुओं से दोस्ती है।
kya khoob likha hai
puri gazal hi bahut sunder hain
rachana
आदरणीय महेन्द्र जी और आदरणीया रचना जी का बहुत बहुत आभार।
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