सावन की घटाओं से तुम काली चुनर लेना,
औ ,बिजलियों से पागल आशिक का जिगर लेना।
जब दिल के समन्दर को हो इच्छा मिलन की तो,
तुम ग़मज़दा हर साहिल को तोड़, सफ़र लेना।
गर मन के पहाड़ों पर सैलाबे-हवस छाये,
तो सब्रो-वफ़ा से दिल की धरती को भर लेना।
जब चांदनी बन छाओ तुम शौक़ की गलियों में,
फ़ुटपाथी क़मर से धोखेबाज़ी का ज़र लेना।
जब दिल में मुसाफ़त का तूफ़ान उठे हमदम, ( मुसाफ़त--यात्रा)
तुम बादलों की दीवानेपन की ख़बर लेना।
गर बाग़े-वफ़ा से पतझड़ की सदा आये तो,
सरहद की फ़िज़ाओं से कुर्बानी का ज़र लेना।
धरती की हवा हो जाये सुर्ख, विरह से गर,
तो सूर्य से तुम गर्मी सहने का हुनर लेना।
गर प्यार में घायल कुछ चिड़ियों की करो सेवा,
तो उनसे तलाशे-साजन, ताक़ते-पर लेना।
दुख दर्द चरागे-दिल का जानते हो दानी,
नादान हवा-ए-मज़हब से, न शरर लेना।
बहुत अच्छा मतला -.सावन की घटाओं से तुम काली चुनर लेना,
ReplyDeleteऔ ,बिजलियों से पागल आशिक का जिगर लेना।हर शैर काबिले दाद .शुक्रिया ज़नाब सांझा करने के लिए ..
कृपया यहाँ भी आपकी मौजूदगी अपेक्षित है -http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_9034.हटमल
Friday, August 12, 2011
रजोनिवृत्ती में बे -असर सिद्ध हुई है सोया प्रोटीन .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बृहस्पतिवार, ११ अगस्त २०११
Early morning smokers have higher cancer रिस्क.
Many many thanks to Veeru bhai.
ReplyDeleteधरती की हवा हो जाये सुर्ख, विरह से गर,
ReplyDeleteतो सूर्य से तुम गर्मी सहने का हुनर लेना।
ख़ूबसूरत शेर...ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
Thanks to Dr. Varsha Singh ji
ReplyDeleteधरती की हवा हो जाये सुर्खए विरह से गर,
ReplyDeleteतो सूर्य से तुम गर्मी सहने का हुनर लेना।
कितनी गहरी बात कही है आपने।
ग़ज़ल पसंद आई।
शुक्रिया महेन्द्र भाई।
ReplyDeleteधरती की हवा हो जाये सुर्ख, विरह से गर,
ReplyDeleteतो सूर्य से तुम गर्मी सहने का हुनर लेना।
हसीन गज़ल.